Shareholder – भारतीय शेयर बाजार कोविड-19 संक्रमण के कारण बहुत दिनों तक भालू बाजार से गुजरा है। लेकिन जैसे ही भारतीय अर्थव्यवस्त मे सुधार और कोविड-19 संक्रमण थमा वैसे ही भारतीय शेयर बाजार मे भी तेजी देखने लगी। वैसे Shareholder जो कोविड-19 संक्रमण के दौरान अपने निवेश को खो दिए थे वो अब नए साल भारतीय शेयर बाजार मे आए तेजी के कारण अपने पैसे वापस पा रहे है।
भारतीय शेयर बाजार मे आई तेजी के कारण पुराने निवेशक के साथ साथ नए निवेशक भी बहुत तेजी के साथ जुड़ रहे है। विशेषज्ञ के द्वारा आई जानकारी के अनुसार ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले डीमेट अकाउंट्स की संख्या दिसंबर 2022 में बढ़कर 10.8 करोड़ हो गई। इसकी संख्या में सालाना आधार पर 34 फीसदी का इजाफा हुआ है।
विशेषज्ञ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बढ़ोतरी की वजह शेयर बाजारों से आकर्षक रिटर्न मिलने, अकाउंट खोलने की प्रक्रिया आसान होने और फाइनेंशियल सेविंग में वृद्धि है। डीमेट अकाउंट्स में खातों खोलने में तेजी दिसंबर के उससे पहले के तीन महीनों की तुलना में अधिक रही।
हालांकि, यह वित्त वर्ष 2021-22 की औसत खाता संख्या 29 लाख से कम ही है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के एक विश्लेषण में कहा गया है कि अक्टूबर और नवंबर में 18-18 लाख और सितंबर में 20 लाख खातों की तुलना में दिसंबर, 2022 में ऐसे खातों की क्रमिक वृद्धि 21 लाख थी।
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विशेषज्ञ की एक रिपोर्ट
यस सिक्योरिटीज के पीआरएस इक्विटी रिसर्च प्रमुख निस्ताशा शंकर का मानना है कि खातों की वृद्धि दर सुस्त पड़ने के पीछे मुख्य रूप से रूस- युक्रेन युद्ध के कारण र्थव्यवस्त मे गड़बड़ी, उच्च ब्याज दर का माहोल एवं बढ़ती मुद्रास्फीति और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों के कारण देखी गई अस्थिरता कारण रही है। पिछले महीने यानी दिसंबर 2022 में डीमेट अकाउंट्स की संख्या बढ़कर 10.8 करोड़ पर पहुंच गई है।
जो इकिटी बाजारों से आकर्षक रिटर्न, खाता खोलने की प्रक्रिया में आसानी और वित्तीय बचत में वृद्धि के कारण सालाना आधार पर 34 प्रतिशत की वृद्धि है। आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के CEO (निवेश सेवाएं) रूप भूटेरा ने कहा कि एक साल पहले की तुलना में वर्ष 2022 में IPO की संख्या में आई कमी ने भी पिछले कुछ महीनों में ड्रीमैट खातों की वृद्धि दर पर असर डाला है।
डीमैट खातों पर Shareholder की बढ़ती संख्या के बीच एनएसई पर सक्रिय ग्राहकों की संख्या पिछले छह महीनों से लगातार घट रही है। मोतीलाल ओसवाल इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के बैंकिंग, बीमा एवं वित्तीय शोध प्रमुख नितिन अग्रवाल ने कहा, “बाजारों में अस्थिरता बढ़ने से वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी छमाही में बाजार में आने वाले ग्राहक अपनी खरीद-बिक्री गतिविधियां कम कर रहे हैं।”
मौजूदा समय में देश की शीर्ष पांच ब्रोकिंग फर्मों की एनएसई सक्रिय ग्राहकों में हिस्सेदारी बढ़कर 59.3 प्रतिशत हो गई है जबकि दिसंबर, 2021 में यह अनुपात 56.2 प्रतिशत था। इन फर्मों में जेरोधा, एंजेल वन, ग्रो, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और आईआईएफएल सिक्योरिटीज शामिल हैं।
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