digital india (डिजिटल इंडिया कार्यक्रम) -भारत में डिजिटल लेन-देन का क्रेज थमने का नाम ही नहीं ले रहा है यह बढ़ता ही जा रहा है इसकी शुरुआत भारत में 1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने digital india कार्यक्रम पर जोर देते हुए ऑनलाइन आधारित संरचना में सुधार, इंटरनेट कनेक्टिविटी को सशक्त बनाने और सरकारी सेवाओं को लोगों तक डिजिटल रूप से पहुंचाने के लिए digital india कार्यक्रम की शुरुआत की थी. जो आज पूरी तरह से रंग ला रही है.
digital india कार्यक्रम की शुरुआत
digital india कार्यक्रम के तहत यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंटस इंटरफेस) की शुरुआत 2016 में हुई थी उस समय चीन का वॉल्यूम यूपीआई लेन-देन में भारत से 4 गुना से भी अधिक था. लेकिन वर्ष 2021 में भारत ने ना केवल चीन को पछाड़ा बल्कि भारत का वॉल्यूम चीन से 2 गुना अधिक हो गया है। अब भारत दुनिया में होने वाले डिजिटल ट्रांजेक्शन लेनदेन का अकेला 40% से अधिक का हिस्सा है. वर्ष 2017 – 2018 में भारत डिजिटल करेंसी लेन-देन का वॉल्यूम 2,071 करोड़ था. जो 2021 – 2022 में 8,840 करोड़ो हो गया. अगर आंकड़े की बात करें तो यह 2017 – 2018 में 1,962 लाख करोड़ रुपए थे. जो 2021 – 2022 में बढ़कर 3,021 लाख करोड़ रुपए हो गए हैं.
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डिजिटल लेन-देन का क्रेज जिस तरह भारत में बढा है उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत जल्द ही डिजिटल लेनदेन में दुनिया में सबसे आगे होगा। भारत में लगभग 25 करोड़ भारतीय लोग रोजमर्रा की लेन-देन में यूपीआई का उपयोग करते हैं और करीब 5 करोड़ उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं.
क्रेडिट कार्ड रखने का झंझट ख़त्म डिजिटल लेन-देन के लिए अब होगी यूपीआई से पेमेंट।
आरबीआई भारतीय रिजर्व बैंक क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ने की प्रक्रिया 2023 में शुरू करने जा रही है. इससे पहले रिजर्व बैंक ने 1 नवंबर 2022 को डिजिटल करेंसी की शुरुआत कर डिजिटल क्षेत्र में अपना पहला कदम आगे बढ़ा चुकी है फिलहाल डिजिटल करेंसी अभी सीमित क्षेत्र में सीमित रूप से जारी है. पर इस साल 2023 में डिजिटल करेंसी को आम लोगों तक पहुंचाने की संभावना है.
डिजिटल लेन-देन के लिए डिजिटल करेंसी यूपीआई से जोड़ा जाएगा
हमारे देश के नागरिक जो कि विदेशों में अपना जीवन यापन कर रहे हैं. और हमारे देश की डिजिटल करेंसी से वंचित है. और हमारे देश की इन डिजिटल करेंसी की फीचर्स का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं तो इसके लिए भारत सरकार इसको यूपीआई से जोड़ने की योजना बना रही है और वह वहां के लोगों भी भारत बिल पेमेंट सिस्टम के द्वारा भुगतान कर सकेंगे
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